HP के इतिहास की प्राचीन काल के सिक्कों, शिलालेखों, साहित्य, भवनों, यात्रा वृत्तांत और वंशावलियों के अध्ययन के द्वारा हम जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।





जो कि सीमित मात्रा में उपलब्ध है। जिनका विवरण निम्नलिखित है





(i) साहित्य


पुराण-विष्णु पुराण, मार्कंडेय पुराण, स्कन्द पुराण में इस क्षेत्र के निवासियों का उल्लेख मिलता है। .


रामायण, महाभारत और ऋग्वेद में हिमालय में निवास करने वाली जनजातियों का विवरण मिलता है।


पाणिनी की 'अष्टाध्यायी', वृहत्संहिता, कालिदास के 'रघुवंश', विशाखादत्त के मुद्राराक्षस और कल्हण की राजतरंगिणी (जो कश्मीर का इतिहास बताता है) जो 1149-50 में रचा गया, में हिमाचल के क्षेत्रों का वर्णन मिलता है। .





'तरीख-ए-फिरोजशाही' और 'तारीख-ए-फरिस्ता' में नगरकोट किले पर फिरोजशाह तुगलक के हमले का प्रमाण मिलता है।





'तुजुक जहाँगीरी' में जहाँगीर के काँगड़ा आक्रमण तथा 'तुजुक-ए-तैमूरी' से तैमूर लंग के शिवालिक पर आक्रमण की जानकारी प्राप्त होती है।





ii) सिक्के-





हि.प्र. में सिक्कों की खोज का काम हि.प्र. राज्य संग्रहालय की स्थापना के बाद गति पकड़ने लगा।





भूरी सिंह म्यूजियम और राज्य संग्रहालय शिमला में त्रिगर्त, औदुम्बर, कुलूटा और कुनिंद राजवंशों के सिक्के रखे गए हैं।





शिमला राज्य संग्रहालय में रखे 12 सिक्के अर्की से प्राप्त हुए है।





अपोलोडोट्स के 21 सिक्के हमीरपुर के टप्पामेवा गाँव से प्राप्त हुए हैं।





चम्बा के लचोड़ी और सरोल से इण्डो ग्रीक के कुछ सिक्के प्राप्त हुए है।





कुल्लू का सबसे पुराना सिक्का पहली सदी में राज विर्यास द्वारा चलाया गया था।





(iii) शिलालेख/ताम्र-पत्र-





काँगड़ा के पथयार और कनिहारा के अभिलेख, हाटकोटी में सूनपुर की गुफा के शिलालेख, मण्डी के सलोणु के शिलालेख द्वारा हम हि.प्र. के प्राचीन समय की सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।





भूरी सिंह म्यूजियम चम्बा में चम्बा से प्राप्त 36 अभिलेखा को रखा गया है जो कि शारदा और टांकरी लिपियों में लिखे हुए हैं।





कुल्लू के शलारु अभिलेखों से गुप्तकाल की जानकारी प्राप्त होती है।





टॉस और यमुना नदी के संगम पर स्थित जौनसार-बावर क्षेत्र में अशोक का शिलालेख है।





निरमण्ड में सातवीं शताब्दी का महासामंत समुद्रसेन का ताम्रपत्र है।





(iv) भवन-





हि.प्र. का काँगडा किला, भरमौर के मंदिर, सिरमौरी ताल के भग्नावेष, कामरू, नग्गर, ताबो और 'की' के बौद्ध विहार के भवनों से भी प्राचीन हिमाचल के इतिहास की जानकारी हमें प्राप्त होती है।





(७) वंशावलियाँ-वंशावलियों की तरफ सर्वप्रथम मूरक्राफ्ट ने काम किया और काँगड़ा के राजाओं की वंशावलियाँ खोजने में सहायता की।





कैप्टन हारकोर्ट ने कुल्लू की वंशावली प्राप्त की।





बाद में कनिंघम ने काँगड़ा, चम्बा, मण्डी, सुकेत और नूरपुर राजघरानों की वंशावलियाँ खोजी।





(vi) यात्रा वृत्तांत-





हि.प्र. का सबसे पुरातन विवरण टॉलेमी ने किया है जिसमें कुलिन्दों का वर्णन मिलता है।





चीनी यात्री ह्वेनसाँग 630-644 AD तक भारत में रहा।





इस दौरान वह कुल्लू और त्रिगर्त भी आया।





थामस कोरयाट और विलियम फिच ने जहाँगीर के समय हि.प्र. की यात्रा की।





फॉस्टर ने 1783, विलियम मूरक्राफ्ट ने 1820-1822, मेजर आर्चर ने 1829 के यात्रा-वृत्तातों में हिमाचल के बारे में लिखा है।





इसके अलावा अलबरुनी (1030) ने (महमूद गजनवी


के साथ) इस क्षेत्र का वर्णन किया है।